2024-12-25
डॉ. भेसदडिया की शानदार यात्रा 1995 में शुरू हुई, जब उन्होंने वास्तुकला के क्षेत्र में कदम रखा। जैसे-जैसे उन्होंने प्राचीन विज्ञान में गहराई से शोध किया, उन्हें वास्तु और ऊर्जा के बीच गहरे संबंध का अहसास हुआ। इसके बाद उन्होंने वास्तु शास्त्र और आधुनिक ऊर्जा चिकित्सा के सिद्धांतों को जोड़ते हुए एक अनूठी प्रणाली विकसित की। उन्होंने सबसे पहले वास्तु कुंडली नामक प्रणाली बनाई, जो अब तक की पहली वैश्विक प्रणाली मानी जाती है, जो वास्तु और ज्योतिष के सिद्धांतों को जोड़ती है।
उनकी कड़ी मेहनत और अनुसंधान के परिणामस्वरूप उन्हें 15 स्वर्ण पदक, 4 लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड, और 3 मानद डॉक्टरेट से सम्मानित किया गया। वे 12 देशों में अपनी विद्या का प्रचार करने के लिए यात्रा कर चुके हैं और उन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड भी हासिल किया है। गुजरात सरकार द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया और वे पिरा वास्तु के विशेषज्ञ, आध्यात्मिक हीलर, रेकी ग्रैंड मास्टर, जियोपैथिक कंसल्टेंट, न्यूमेरोलॉजिस्ट, और वास्तु कुंडली शोधकर्ता और परामर्शदाता के रूप में प्रसिद्ध हैं।

भारत के काशी (वाराणसी) में एक ऐतिहासिक घटना घटी, जिसमें दुनिया भर के विशेषज्ञ, आध्यात्मिक नेता, और प्रैक्टिशनर एकत्रित हुए। IVAF (इंटरनेशनल वास्तु और ज्योतिष फाउंडेशन) के अध्यक्ष दिव्याहरी पिल्लई द्वारा आयोजित ज्योतिष वास्तु महा सम्मेलन एक भव्य और अविस्मरणीय अनुभव रहा। इस प्रतिष्ठित सम्मेलन में डॉ. नरेंद्र एल. भेसदडिया को मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था।
यह सम्मेलन काशी में आयोजित किया गया, जो भारत का एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और धार्मिक केंद्र है। इस आयोजन ने प्राचीन ज्ञान और आधुनिक दृष्टिकोण को एक साथ लाकर एक अद्वितीय मंच प्रदान किया, जहां वास्तु, ज्योतिष, और आध्यात्मिक चिकित्सा पर गहरी चर्चा हुई। सम्मेलन का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को एकजुट करना था, ताकि वे एक दूसरे से अपने अनुभव साझा कर सकें और एक-दूसरे से सीख सकें।
डॉ. भेसदडिया की वाणी ने सम्मेलन में चार चाँद लगा दिए। उन्होंने वास्तु कुंडली के विषय में अपने विचार साझा किए, और बताया कि किस तरह से वास्तु शास्त्र और ज्योतिष के सिद्धांतों को मिलाकर एक नया दृष्टिकोण सामने आया है, जो आज के समय में भवन निर्माण और जीवन को संतुलित और समृद्ध बनाने में मदद कर सकता है।
यह सम्मेलन केवल एक अकादमिक मेला नहीं था, बल्कि यह उन व्यक्तित्वों को सम्मानित करने का अवसर था जिन्होंने वास्तु और आध्यात्मिक चिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दिया है। डॉ. भेसदडिया को इस सम्मेलन में "सनातन धर्म वेद ब्रह्मा अवार्ड" और "एशिया-प्रशांत वास्तु अवार्ड" से सम्मानित किया गया। ये पुरस्कार उन्हें जगद्गुरु रामानुजाचार्य जी महाराज द्वारा प्रदान किए गए थे, जो एक प्रतिष्ठित और सम्मानित आध्यात्मिक नेता हैं।
अपने स्वागत भाषण में डॉ. भेसदडिया ने आभार व्यक्त किया और कहा कि प्राचीन ज्ञान को बनाए रखते हुए इसे आधुनिक जीवन की जरूरतों के अनुसार ढालना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी बताया कि वास्तु शास्त्र को सही तरीके से लागू किया जाए तो यह न केवल घरों और कार्यालयों में बल्कि पूरे जीवन में संतुलन ला सकता है।

इस सम्मेलन में कई प्रमुख व्यक्तित्वों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जिनका वास्तु, ज्योतिष और आध्यात्मिक चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है। इनमें डॉ. मनीष पांडे, डॉ. कपिलमुनि, पूर्व मंत्री नंदकिशोर शर्मा, श्री अशोक कुमार त्रिवेदी (मेयर, बनारस), श्री ओमप्रकाश पांडे, श्री वाय. के. गुप्ता, डॉ. रमेश पोद्दार, डॉ. राजनाथ झा, श्री कपिल महाराज, श्री मनोज लेंका, डॉ. मिथुन भट्टाचार्य, श्री राम प्रपन्नाचार्य, पंडित पवन शर्मा, श्री मधुराज, श्री देवेंद्र शास्त्री, श्री आर. के. शर्मा, श्रीमती लोरेटा नेदार, श्रीमती मीनाक्षी शर्मा, डॉ. किंजल भट्ट, पूजा जी, श्री सूर्यनारायण जी, श्री अवधेश जी, और आचार्य श्वेता (वाराणसी) प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
इन व्यक्तित्वों ने सम्मेलन को अपनी उपस्थिति से गौरवान्वित किया और विभिन्न विषयों पर अपने विचार साझा किए। उनका योगदान सम्मेलन की सफलता में अत्यंत महत्वपूर्ण रहा।
सम्मेलन के दौरान, डॉ. मनीष पांडे और उनके परिवार ने अतिथियों को एक विशेष बनारसी व्यंजन - गति चोखा का स्वाद चखने का अवसर दिया। यह व्यंजन अपनी विशिष्टता और स्वाद के लिए जाना जाता है और बनारस की पारंपरिक रसोई का प्रतीक है। डॉ. भेसदडिया और अन्य अतिथि इस स्वादिष्ट व्यंजन का आनंद लेकर पूरी तरह से प्रसन्न थे।
यह सम्मेलन केवल एक स्थानीय कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह एक वैश्विक मंच था, जिसमें भारत और दुनिया के विभिन्न हिस्सों से 200 से अधिक वास्तु और ज्योतिष विशेषज्ञ भाग लेने आए। सम्मेलन में पश्चिम, पूरब, उत्तर, और दक्षिण भारत के विशेषज्ञों ने भाग लिया और इस आयोजन को एक अंतरराष्ट्रीय रूप दिया।
सम्मेलन ने न केवल विशेषज्ञों को आपस में विचार-विमर्श का अवसर दिया, बल्कि यह एकजुटता और सहयोग की भावना को भी बढ़ावा दिया। डॉ. भेसदडिया ने इस सम्मेलन में भाग लेकर न केवल अपने वास्तु कुंडली पर आधारित कार्य को प्रस्तुत किया, बल्कि अन्य विशेषज्ञों के साथ भी अपने विचार साझा किए।

सम्मेलन के समापन के बाद, डॉ. भेसदडिया और अन्य प्रतिभागियों ने भविष्य के बारे में बात की और आने वाले IVAF कार्यक्रमों की योजना बनाई। IVAF का अगला कार्यक्रम गुजरात के पावन स्थल द्वारका में आयोजित किया जाएगा। डॉ. भेसदडिया ने इस कार्यक्रम के लिए उत्साह व्यक्त किया और इसे वास्तु, ज्योतिष और आध्यात्मिक विज्ञान के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक कदम बताया।
उनके द्वारा किए गए प्रयास और योगदान निश्चित रूप से आने वाले वर्षों में वास्तु, ज्योतिष और आध्यात्मिक विज्ञान के क्षेत्र में नई दिशाएँ बनाएंगे।
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